शंखनाद
शंखनाद कानों में गुंजित, निज सेना तैयार करो।
नयन अश्रु ले बैठे हो क्यों, इन में अब तुम ज्वाल भरो।
देख पड़ोसी को सीखो तुम, क्षण में क्या से क्या हो जाए।
सजग सचेत रहो पल कहता, समय हाथ से निकल न जाए।।
उठो सोने वालों सवेरा हुआ है…...
शंखनाद
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महाभारत की संरचना कर
नवयुग का बुनना ताना।।
सत्य धर्म की डोरी थामे
शीर्ष तिरंगा फहराना।।
हिय कलुषता लेकर अंबर
चाहे धरणी पर डेरा।
बिछा बिसातें नित पथ नूतन
पग पीछे खींचें तेरा ।
पंचजन्य सी शंखनाद कर
वीर भारती बढ़ जाना।।….
सत्य धर्म की डोरी थामे
शीर्ष तिरंगा फहराना।।...
दीपों की सब लड़ियाँ मिलकर
निज आँगन को रहीं जला ।
नमक पोटली डाल जड़ों में
नीव घरोंदा रहीं गला।।
कर्मक्षेत्र में पार्थ रूप धर
धर्म राज्य फिर से लाना।।...
सत्य धर्म की डोरी थामे
शीर्ष तिरंगा फहराना।।...
कागा कोकिल स्वर में गाएँ
बैठे बगुले भगत बने ।
मोती छीन हंस से ऐंठें
सत्ता मद में लिप्त घने।
आक्रोशित हिय ध्येय भेदना
हीरक बन नभ पर छाना।।….
सत्य धर्म की डोरी थामे
शीर्ष तिरंगा फहराना।।
पूजा शर्मा "सुगन्ध"
चित्राभार गूगल
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